Don't let your habits become handcuffs....
Bad Habits are easier to Abandon today than tomorrow....
आदत अगर वक्त रहते बदली न जाये तो जरूरत हो जाती है। और आदत अगर एक बार जरुरत में तब्दील हुइ की शुरू हो जाता है एक दूसरे के साथ Fraud, Cheat और विश्वासघात। बस सफर के बीच कोइ मिल जाये तो Inspire करें, जो Distract करें.... Track बदलने की प्रेरणा दे तो सब कुछ Change हो जाता है।
भोमा.... अनपढ़... Uneducated, Slum परिवारों के बीच अपने आने वाले कल गढ़ रहा था। कुछ भी अच्छा नहीं था... मगर उसे सही मानने के सिवाय और कोइ Option भी तो नहीं था। उसके पास रोज चॉक्लेट खाने, Bet लगाने, School Bunk करने, Movie देखने छिप छिप कर सिगरेट पिने की आदत कब जरूरत बन गइ पता ही नहीं चला। हर एक कामनाये Pocket Money से कुछ दिनों तक तृप्त होती रही.... उसके जेब और Purse दोनों खाली थे। और तलब थी कि लग गयी थी। लाख छुड़ाये नहीं छुट्टी, तो धीरे धीरे उसके हाथ उन चिलर्स.... रुपयों की तरफ बढ़ने लगे जो यहा वहा जहा कहा लापरवाही से किसी के भी घर पर रखे गये हो। गनीमत इतनी थी अगर एक साथ नोटों की गड्डियां मिलती तो वो सारे के सारे अपने जेब को नहीं सौंपता। और गलत में भी कुछ सही करने की वजह से चोरी करते हुए वो कभी पकड़ा नहीं गया। अब उसकी सोसाइटी... परिवेश... Environment सब कुछ बदल गया था बावजुद इसके.... उसकी आदत ने उसका साथ नहीं छोड़ा। कभी पड़ोसी, कभी दोस्त, कभी दुकान - जहा भी मौका मिला हाथ साफ किये और खुद को High Profiled प्रूफ करता रहा। वो और उसकी Company रोज Cinema Hall.... Hotels और मनोरंजन की दुनिया में जिंदगी का लुत्फ उठाते रहे।
उस दिन शायद उसकी बुराइयों का पर्दाफाश होने का दिन था या उसके जिंदगी भर उन बुराइयों को तौबा करने का। अपनी Mom के Purse से उसने 500 रुपये निकाल लिये और Purse को As it is रख दिया। रोज Night Balance Sheet मिलाइ जाती थी घर पर.... और 500 Rupees Missing थे। कही और से नहीं Purse से.... और Miss होने की कोइ वजह भी नहीं थी.... तलाश जाकर भोमा पर पूरी हुइ.... एक राज खुला.... तो पिछली चोरियों से भी एक एक पर्दा उठता गया.... Mom ने अपनी भाइ यानी भोमा के मामा को Call कर दिया था कि छोटी छोटी खुशियों को पाने के लिये जो बड़े कदम उठा लिये थे... उन कदमो के निशानों से गुजरकर कभी भी कानून उस तक पहुंच सकती थी। रात के 8 बजे थे... मामा का चेहरा लाल भुभका हो गया था... पहली बार भोमा ने मामा का ये रूप देखा था... घर में दस्तक हुए... न बातचीत.... न दुआ-सलाम... और भोमा पर थप्पड़-लात-घुसे बरसने लगे... अचानक इस हमले के बीच उसे संभलने का मौका तक नहीं मिला... कही अंदर चोट लगी तो कही बदन के अलग अलग हिस्से जख्मी हो गये.... बहुत दिनों तक वो बिस्तर से उठ नहीं पाया.... जब उठा तो अब तक अर्सो से पली-बढ़ी आदतों ने मन के कोने कोने से विदाइ ले ली। वो भी हमेशा हमेशा के लिये।
आदतें दिक्कते पैदा करती है अगर उन्हें सही वक्त पर सुधार लिया जाये जिंदगी को जन्नत होने में दो पल लगेंगे।





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