दिल के रिश्ते...
किस्मत वाले होते है जिन पर माँ का साया होता है, जिन्हें माँ के आँचल की छांव नहीं मिलती उनके कदम सिहर जाते है। अक्सर लोगो की जिंदगी में एक माँ का अवग्रह मिलता है, कुछ एसे भी बदनसीब होते है जो कभी देख नहीं पाते कि माँ कैसी होती है। इस मायने में मेरे सितारे आसमान पर थे.... मेरी जिंदगी में मैंने दो दो माँ की मोहब्बत पाइ। एक जिसने ये खुबसूरत कायनात दिखाइ - साध्वी श्री विनीत प्रभा जी। एक और है जिन्होंने जीवन के अलग अलग पड़ावों पर माँ ना होकर भी माँ का किरदार निभाने में कसर नहीं छोड़ी। श्रीमति राजकुमारी जी लुणिया.... संयोग था या कोइ चमत्कार कि जो उनके पति और कही न कही जरा जरा मेरे पिता की भुमिका पर खड़े थे उनको नाम मिला राजकुमार लुणिया उर्फ राजा। एक ओर राजकुमार.... और दुसरी ओर राजकुमारी.... जोड़ी को कोलकाता में बड़ी शोहरत मिली... और मुझे उनके तीसरे बेटे होने की पहचान, मैं... मेरे Real घर से ज्यादा उस घर से ज्यादा उस घर में वक्त बिताना पसंद करता - जिन्होंने मुझे मेरे होने का अहसास कराया, मुझे बनाया.... दो भाइ - दीपक-अरुण और मैं.... खाना पीना, मौज-मस्ती, पढ़ना-बढ़ना.... सब कुछ साथ-साथ। शादी हो या Business... मेरा दोनों भाइयों के साथ होना जैसे जरूरी हो गया था... दीदी-मधु इस परिवार की बेटी हो गयी थी, मेरे साथ हम तीनों भाइयों की बहन... रक्षा बंधन और भाइ दूज पर वो अमीर हो जाया करती। मधु की शादी - मेरा और माँ का सन्यास... सारी जवाबदेही कितनी आसानी से उन्होंने उठा लिया था - फिर एक पर एक कहर बरसता रहा... राजकुमार जी अपना सारा जीवन सौंप गये... आंखे मुंद ली... हमेशा हमेशा के लिये... वक्त सरकता गया... पिघलता गया... मेरे सन्यास को 21 साल हो गये.... राजकुमारी जी गाहे-बगाहे मेरे पास कभी 2 कभी 3 साल में आ ही जाते... मगर पिछले 3-4 सालों से सेहत ने साथ नहीं दिया... और अचानक Paralytic Attack.... दो तीन दिन Hospital में... फिर अलविदा। जीवन की हर एक तकलीफ में उन्हें मुस्कुराते हुए देखा.... Situation कैसी भी थी.... हमेशा Divine Smile के साथ हर Situation से Deal कर लेते। मेरी अच्छी आदत के पिछे मेरी हर बुरी फितरत को तोड़ने में ना जाने कितने किरदार निभाये ना वो जानते थे... ना मैं कभी जान पाया... वो मुझे बढ़ाते रहे और में बढ़ता रहा... कौन करता है इतना सब.... जब पता हो कि मैं उस वंश का अंश नहीं था... मगर उन्होंने किया.... अब उनकी अधुरी कहानी - दोनों भाभियां (मीमांसा और मीनाक्षी) पुरी करेगी.... उम्मीदों को आशाओं को... एक उम्मीद है... एक आशा है। Hope the Best...
उनकी कमी तो भर नहीं पायेगी मगर जो वो चाहते थे.... वो पुरा करने का वक्त अब भी हाथों में है.... Let's Move On....


माताजी को नमन
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