THINK BIG TO BECOME BIG !!

 
 
एस.टी.डी बूथ से पेजर, पेजर से Keypad Mobile और Keypad से Smart टच फ़ोन तक के दौर से गुजर चुके है मेरे कदम। 25 साल.... हां इन्ही 25 सालों ने जीवन.... जीवन की परिभाषा, जीवन की जरूरतें और जीवन की शैली में सब कुछ... मतलब सब कुछ बदल दिया.... अब बड़े वो है जिनके पास Power, पैसा, Position है। मगर मैंने बड़े होने का कोइ और रूप चूना था.... ये जानते हुए भी की बड़ा होना इतना आसान नहीं है.... इस Deal में अपना बहुत कुछ दांव पर लगा कर आना होता है.... इस राह पर अपना Attitude... अपना स्वभिमान सब कुछ कही Devote कर आना होता है। मुझे भी बड़ा आदमी बनना है.... और ये ख्वाब बुनने के लिये मैंने जिंदगी के ढेरों सारे पल खर्च किये। नहीं जानता था.... बड़ा बनना क्या होता था... अगर ये पता होता तो मैं कभी बड़ा होने के लिये खुद को Annoy करने की जद्दोजहद ही नहीं करता। 

बड़े को बनते देखा है मैंने.... पुरी रात दाल पानी में भिगोइ.... ठंडक को बर्दाश्त किया.... सुबह होते होते Mixer में Grind किया.... दर्द से गुजरा.... MDH का मसाला Add हुआ.... जलन को सहन किया... खोलते हुए तेल में जले.... गर्मी से कभी नीचे तो कभी ऊपर.... फिर आखिर Finally.... जब Ups & Downs बंद हुए.... तो मुंह में बरबस पानी आ गया.... कितने जायकेदार बड़े बने है। 

मुझे बड़ा.... इतना बड़ा बनना था... जहां भी जाउ आसपास बेशुमार भीड़ हो.... हजारों Fan Followers हो.... चाहने वालो की लंबी कतार हो... और ये चार रास्तो से गुजर कर हो सकता था.... Cricketor हो जाये.... Cine Star बन जाये.... Motivator या फिर संत ही हो जाये। समझ में Maturity नहीं थी, सब Destiny पर छोड़ दिया... जो होगा देखा जायेगा... वक्त ने पिघलते हुए अनगिन सपनों में रोमांच भरे.... समझदारी ने मुझे अपनाया तब से अब तक Life में तीन तरह के लोग मिले। 

1. अपना सब कुछ मुझे Devote करने वाले...
2. सामने तारीफों के कसीदे पढ़ने और बाहर फब्तियां कसने वाले। 
3. सिर्फ खुन्नस निकालने वाले। 

मैं तीनों Variety के लोगो से मिला... और एक पशोपेश की झिल्लीदार लकीर खींच गइ मन के वेश में... कौन सही... कौन गलत... बस एक बात समझ रहा था... कुछ भी हो.... मैं अंदर से और ज्यादा सावधान और मजबुत हो रहा हु..... मुझे पता नहीं अब तक मैं बड़ा हुआ या नहीं.... मगर इतना जानता हूं.... हजारों लोग मेरे लिये अपने मन में एक संवेदना का Corner रखते है। नहीं जानता कि मैं बड़ा हुआ या नहीं मगर चाहने वालो की कतार शुरू हो गइ.... नहीं जानता कि बड़ा हुआ या नहीं लेकिन लोगो की प्रार्थनाओं और दुआओं में शामिल हु। 

अभी तक बड़े होने की यात्रा की टोह में हु.... ढूंढ रहा हु.... की कही मुझे मेरे बड़े होने के सपने की पतंग को उड़ने के लिये कोइ डोर मिल जाये। ये वामन रूप विराट हो जाये.... अब तक छोटे छोटे कदमों से छोटे छोटे पड़ाव तय किये है.... कुछ बड़ा करना बाकी है - कब ? कैसे ? कहा ? सब आने वाले कल की कोख में है।

Comments