WALK WHERE YOUR HEART LEADS YOU !!

Put your ear down by your Heart & listen Hard.....

 
अर्सो बाद आंगन पर खुशियों को सर उठाते हुए देखा था, कितने सालों बाद हाथ पीले हुए थे मधु के। हां ये नया नाम था - जो प्रभा मासी ने अलंकृत किया था।  प्रभा मासी.... विमला देवी यानी मधु की मम्मी की मुंह बोली बहन। उन्हें रास नहीं आया कि ये मुक्ता नाम। उनका मानना था कि ये पुराना घिसा-पिटा नाम था जो 20वीं सदी में Outdated हो चुका था.... बस ये थी मुक्ता से मधु में नाम बदलने की वजह। कितने लड़को की कुंडली मिलाइ होगी किसी से 20 तो किसी से 18 गुण मिल रहे थे। और मधु का परिवार ठहरा Traditional - इस दौर की तरह नहीं था सब कुछ Practical, लड़के को लड़की पसंद आइ और बंध गये विवाह बंधन में। आखिर तलाश पुरी हुइ और चट मंगनी पट ब्याह की थीम पर सगाई के कुछ दिनों बाद ही शादी की तारीख तय हो गइ।
 
 
 

सबके चेहरे पर खुशी थी... अफसोस था तो इतना कि आज मधु के पापा नहीं थे। जाने कहा लापता हो गये थे। अर्सो बीत गये मगर कहा है ? किस हाल में है.... कुछ भी पता नहीं चला। गनीमत ये थी कि कन्यादान उन्होंने किया जो मधु के मकान मालिक थे। उन्होंने कइ सालों पहले मधु को गोद ले लिया था। दो संतान हुइ थी उनके। मगर बेटी की किलकारियां नहीं गुंजी। मधु जब से मकान में आइ.... उसके दिलकश व्यवहार ने Owner के परिवार में एक अहम स्थान बना लिया था। मधु अब अपने घर में कम और Owner के घर का हिस्सा बन गइ थी। बहुत प्यार और नाज़ो नखरों से पाला था सबने उसे। अब ओनर के तीन संतान थी दो बेटे एक बेटी।
 
 
 

आज उसके हाथ पीले हो रहे थे। बारात घर की देहरी पर दस्तक दे चुकी थी। हर तरफ खुशी थी मगर एक संजू था.... चेहरे से उदासी हटने का नाम ही नहीं ले रही थी, संजू मधु का Real भाइ। मतलब विमला देवी का इकलौता बेटा। भाइ बहन के बीच कुछ ज्यादा अच्छी बॉन्डिंग नहीं थी, बात बात पर कहासुनी हो जाती थी उनकी, और झगड़े तो एसे समझ ले की WWE का कोइ छोटा संस्करण। चोट भी गहरी लगती.... मगर जब प्यार से बात होती तो इतनी की भाइ-बहन कि एसी जोड़ी पुरी दुनिया में कही हो ही नहीं। आज बहन विदा हो रही थी। अब महसुस हो रहा था कि वो क्या गलतियां कर आया था। आंखे सावन भादो हो रही थी, रूलाई थी की रुकने का नाम ही नहीं ले रही थी। मंडप के आसपास दो पल भी ठहर ना सका, छत पर पहुंच गया, फुट-फुट कर रोने लगा.... नीचे मंडप में शादी हो रही थी.. और ऊपर आंसुओ का समंदर बह रहा था।
 
 
 

सारी रीत रिवाज, रस्मे पुरी हो गइ थी। बस एक रीत जो संजू के बिना हो ही नहीं सकती थी, इतनी देर उसकी ओर किसी का ध्यान ही नहीं गया - अब सबकी आंखे संजू को तलाशने लगी। बड़ी देर बाद मामा ने संजू को छत पर ढूंढ लिया। रस्मे पुरी हुइ - कुछ पलों में मधु किसी और आंगन की बहु - किसी की पत्नी बन गइ। और संजू के पास अब सिर्फ बाकी था - अपनी दीदी से लड़ाइ के उन पलों की स्मृति और पश्चयताप। 
 
 

जिंदगी के इस सफर में कुछ ही होते है जो अपने होते है। एक बार वो देहरी लांघ गये फिर जिंदगी में कभी नहीं लौटते। कोशिश कीजिये कि जो आपसे दिल से बात करें उनसे बात करते वक्त कभी दिमाग का उपयोग मत किजिये। दिल और दिमाग में किसी के लिये चुनना हो तो हमेशा दिल की सुने जो दिल कहता है दिमाग दूर दूर तक उसे कभी सोच भी नहीं सकता।

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