पुलवामा अटैक
नहीं ! अब चुप नहीं....
क्या कसूर था उनका जो 200 किलो बारूद के एक विस्फोट ने उनसे उनका सब कुछ.... उनका वजूद, उनका गर्व, उनका स्वाभिमान, जुबान पर वंदे मातरम की गूंज, धड़कनो में देश भक्ति का जज्बा.... छिन लिया..... ये तो हद थी, उस एक विस्फोट के साथ ही तारकोली सड़क पर यत्र-तत्र निखरते शरीर के चीथड़ों की जाने कितनी बद्दुआए कुछ पल में पुरे ब्रह्मांड में फैल गइ.... अब शुरू होगी उन 44 जवानों की शहादत पर सियासत.... अलग अलग बाग - अलग अलग आलाप होंगे, केंडल मार्च, श्रद्धांजली सभाये, मौन जुलूस, रोष - गुस्सा, संसद में धुए के धल्ले की तरह उलझते मुद्दे, बॉयकॉट - वॉक आउट, एक दुसरे पर फब्तियां - छींटाकशी.... और फिर एक लम्बी चुप्पी - सन्नाटा और फिर खामोशी। मगर जिन बहादूर सिपाहियों को देश ने खोया है... उनकी कराह.... उनका दर्द.... उनकी चितकार.... उनकी चीख उनका बलिदान..... न जाने किस गुमनामी के अंधेरो में धकेल दिये जायेंगे..... ये वो सवाल है जो सदियों तक अपना जवान ढूंढता रहेगा।
फेसबुक पर कमेंट्स और लाइक्स, ट्विटर पर ट्वीट्स, व्हाट्सअप पर कॉपी-पेस्ट, फॉरवर्ड, अखबारों की सुर्खियां, न्यूज़ चैनल पर ब्रेकिंग न्यूज़ बनकर रह जायेंगे शहीद, कवि सम्मेलन होंगे, महायज्ञ होंगे, भक्ति संध्याये होंगी.... चोहट्टो चौबारों पर देशभक्ति के लिये चर्चाओं में खून खोलेंगे.... हड़तालें होगी.... भारत बंद भी होगी.... मगर आतंकवाद के जहरीले ख्याल को किसी के मन से नेस्तनाबूद करने की कोशिश.... नहीं बिल्कुल नहीं होगी.... भुल गये.... भगवान महावीर.... ईसा मसीह.... भगवान बुद्ध ने कहा था - वैर से वैर की मौत नहीं हो सकती... प्यार के पंख इतने फैला दो कि नफरत के विचार तक एक सांस के साथ ना जा पाये।
हां... बदला लेना है - इस मानवता को शर्मशार करती हौलनाक मंजर का... किसी के मांग से मिटे सिंदूर का, किसी के हाथों में पड़ी राखी पर गिरे आंसुओ की बूंदों का, किसी माँ के हाथ के निवाले को इंतजार का... देश की अस्मिता को दी गयी चुनौती का... बस तरीका " शांत तुष्तं पवित्रम च " भारतीय संस्कृति का होगा.... न बारूद.... न बंदूक, न तलवार.... ये सिखाकर कि एक एक सांस की यहां कीमत क्या है ? किसी के घर लौटने की बेचैनी क्या होती है ? सरहद पर बर्फबारी और लू के थपेड़ों के बीच सहिष्णुता क्या होती है।
नहीं ! चुप नहीं रहना है, लिखे... कुछ कहे.... बांटे समझदारी... सूझबूझ.... और मानव का मानव के लिये असीम प्रेम.... फिर आतंकवादी तो क्या... आतंक की बात करने के पहले सौ बार रूह कांपेगी.....




It's tym to be alert for nation... Vande matram
ReplyDelete