Life - A journey of challenges...
जीवन.... यानी A journey of challenges... चुनोतियों की यात्रा, रोज एक नया Game.... रोज़ एक नया Hard होता Level... रोज नया Match.... जिस पर अगर आप जैन मुनि हो गये है तो फिर क्या कहने.... जहां पांव रखे वही एक चुनौती। सब कुछ नियमों के बंधन में बंधा हुआ.... जैसे जैसे हम आगे बढ़ते है.... इन Tragedies में भी आंनद आने लगता है। मैं जैन मुनि बना.... तो मुझे ये सारे नियम समझा दिये गये थे.... रात को न खाना है ना पीना। बारिश आ गई..... कोहरा छा गया... बस बाहर निकलना बंद.... जब बाहर ही नहीं निकलना तो Breakfast, Lunch, Dinner का तो प्रश्न ही नहीं उठता।
पाली..... औद्योगिक नगरी..... बड़े बड़े कपड़ो की मीले..... अलग-अलग शहरों से आकर बसे बाशिंदों के खानपान में सभी संस्कृतियों का चटखारा - और जायका महसुस कर पायेंगे, लोगो का Nature भी खाने के स्वाद की तरह बिल्कुल एक दुसरे से अलग।
चातुर्मास प्रवेश में अब महज 5-6 दिन बाकी थे..... माड़वाद की गर्मी अपनी प्रचण्डता के कारण मशहूर है। पाली भी नौ कोटि माड़वाद का हिस्सा.... जाने क्यो.... मगर पाली चातुर्मास को लेकर एक अजीब सा Excitement था.... वक्त सरकता जा रहा था... और Excitement बढ़ता जा रहा था... सोने में सुहागा ये था कि चातुर्मास से कुछ महीने पहले ही - श्री ओ पी जैन का पाली जिला मुख्यालय पर अखंड अधिकारी के पोस्ट पर नियुक्ति हुइ थी... मेरे God Father के बेहद Close.... जन्म से तेरापंथ के Devotee होने से मन में हमेशा जैन-तेरापंथ समाज के विकास के लिये हमेशा कुछ करने का शगल देखा.... गर्मी उस रात अचानक कहा काफूर होकर आसमान को बादलों से ढंक गया.... और वो बादल इतने बेचैन कि एक बार बरसने शुरू हुए की अब थमने का नाम ही नहीं लेते। सड़को पर समंदर की तरह पानी बहने लगा.... जाने वो इतनी तेजी से बहकर किस्से मिलने जा रहे थे। सुबह हुइ बारिश पर Full Stop नहीं लगा.... होते होते शाम हो गयी.... बिन संकल्प के उपवास हो गया... श्रद्धालु बेचैन हो उठे.... मुनि श्री के पूरे दिन आहार नहीं हुआ... वो भी प्रकृति के इस रौद्र रूप के सामने बेबस थे। अगली सुबह भी मेघों का गरजना और झमाझम बरसना जारी था.... जैसे आसमान के सारे बादल फटकर अपना अर्सो से एकत्रित किया हुआ पानी - पाली पर ही बरसाने वाले हो। दोपहर को 3 बज रहे थे.... पहली बार एसा हुआ था कि दो दिन तक बारिश की वजह से भोजन नहीं हुआ था.... अचानक तीन बजे बारिश थमी। लोगो की जान में जान आई.... दो दिन तक ठहरा शहर आज फिर चलने लगेगा.... मगर कैसे.... अभी कुछ और भी था जिसे Face करना बाकी था। बारिश ने बाढ़ का रूप धारण कर लिया था। बारिश ने बाढ़ का रूप धारण कर लिया था.... पानी की निकासी के रास्ते बंद हो गये थे.... तो अब पुरा शहर बाढ़ के चंगुल में हो तो हमारा तो उस पानी में बाहर निकलना असंभव ही था.... अब अगर कुछ कर सकते थे तो बस.... सड़को से बहते पानी के सुखने का इंतजार। और हम वही करने लगे। ओ. पी जैन... पहले श्रावक थे फिर अफसर.... शहर के सभी जगह Generator से पानी की निकासी को शुरू करने का निर्णय किया गया और इसका आगाज़ उस Colony से.... जिसमे हम प्रवास कर रहे थे... अगले एक घण्टे में सब कुछ Normal हो गया.... मतलब सड़को पर पानी कहि गायब हो चुका था.... सब वैसा... जैसे कुछ हुआ ही नहीं हो.... पुरे डेढ़ दिन के बाद भोजन ग्रहण किया.... बस एक बात अच्छी थी.... उन पलों में कि मन ने ना रोष किया.... और ना अफ़सोस.... यही सोचता है - जो मिला वो बेहतर जो ना मिला वो भी बेहतर।



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