Parents Are Visible God...
Parents can never be Wrong....
वो दीवाली की चकाचौंध भरी रात थी। हर एक मुंडेर पर दिये रोशन होकर एक दुसरे को चिढ़ा रहे थे कि मैं तुझसे बेहतर उजाले परोस रहा हु.... ये जंग बेशक जीत और हार की नहीं थी, सबको मालूम था कि कल जब आसमान पर सूरज अपने पांव धरेगा तो रात भर कालिख ओढ़े कहि किसी तालाब - किसी नदी, किसी समंदर के भेंट चढ़ जायेंगे। उस रात के निशान बहुत गहरे हो गये थे। संजय कुमार.... हां यही नाम था उसका, खतरों से खेलना था तो कभी कुए में उतर जाता कभी उंचे आसमान से बाते करते दरख़तों पर चढ़ जाता, और ये सब भले ही उसकी मम्मी को पसंद नहीं था मगर उसे इन कारनामो से.... वो क्या कहते है Kick मिलती थी ये Kick भी अजीब चीज है... रोज कुछ नया करने का जुनून... उस जुनून में होता एक अजीब Excitement...
उस रात को भी दिल और दिमाग आतिशो के शोर के बीच कही कोइ Kick तलाश रहा था। यही कोइ 500-1000 के Crackers की Shopping की थी उसने इस दीवाली पर जो पिछले सालों के Cracker Budget से Double था। माँ ने तो कहा था - बेटा इन पैसों से तू नई Dress की Shopping कर ले.... नहीं.... क्यों... मेरे सारे Friends 10 - 15000 के Crackers खरीदते हैं और मैं सबको Enjoy करते हुए देखता रहूं..... हां Jainism के Nonviolence के Concept का भी हवाला गाहे-बगाहे माँ देती रहती थी.... मगर सब कुछ Beyond Mind था। किसी की डांट... किसी की चिकनी चुपड़ी बातें सब कुछ बेअसर।
घड़ी ने रात की ग्यारह बजा दी थी,घरों में दुकानों में लक्ष्मी पूजा हो चुकी थी.... आतिशबाजी का शोरशराबा परवाने पर था... मगर आज की Kick अब तक नहीं मिली.... दो Chocolate Bomb बाकी थे.... उसने सुना था दीवाली पर फटाखे के शोर और जहरीले धुओ से हवा में यायावर जीव मौत मर जाते है। माँ ने तंज कस दिया था.... कभी खुद के हाथ मे कोइ Bomb फोड़कर देखना.... कितना दर्द होता है। उस बात से उस रात को उसको Kick मिल ही गयी... उसने अपने हाथ पर Chocolate Bomb रखा - Chocolate Bomb 10 रुपये का एक Bomb - कही फ़टे तो कुछ मिनट तब कानों में सन्नाटा पसर जाये.... और संजय बाबू ने आज फिर से खतरे के साथ खेलने का Plan Execute कर लिया था.... आपने हाथ पर Bomb रखकर और कई देर से जलकर राख में बदलते हुए अपनी आखरी सिरे पर पहुंच चुकी अगरबत्ती से Bomb के छोर का आलिंगन करवा दिया.... और Start कर दी उल्टी गिनती.... 10... 9... 8... 7... 6.... 5... 4... 3... 2... 1 बोलता उससे पहले Bomb के फटने का तो पता चला मगर अगले एक मिनट के लिये सब कुछ जैसे Comma में चले गये हो.... सन्नाटा बिखरा तो आंखों ने देखा... हाथ की हथेली पूरी तरह झुलस चुकी है - और कलाई से कंधे तक का हिस्सा जैसे बेजान हो गया....
दर्द इतना था कि खुलकर रो भी नहीं पा रहा था वो.... खैर Treatment के बाद सब कुछ As Usual हो गया था.... मगर माँ की बात नहीं मानने की कसक और टिस रह रह कर मन को साल रही थी।
हम कितने भी Multi Talented हो... Guardians, मम्मी पापा, Experience में हमेशा हमारे माँ बाप ही होते है। उन्हें कभी Underestimate करके अपने लिये कोइ अंधेरी सुरंग ना खोद ले। माँ बाप बच्चों के कभी दुश्मन नहीं होते, वो जो सोचते है वो हम कभी नहीं सोच सकते।
They are Great... हर जगह... हर तरफ... हर पल..
ReplyForward
|






Comments
Post a Comment