True Friendship has No Boundaries....




अमित टोप्पो.... संजय का Best Friend... एसी कोइ बात नहीं थी जो वो एक दूसरे की Secret हो। दुनिया की नज़र में ये Friendship Wrong थी क्योंकि अमित Christian था और संजय जैन Community से Belong करता था। मगर उन दोनों को दुनिया की किसी भी बात से की फर्क पेंदा.... Who Cares ? School Bunk करने का Plan हो या नापसंद Period में भागने का मन हुआ तो पेट दर्द का बहाना, बेगानी शादी में सजधज कर लजिज जायकेदार पकवानों का लुत्फ उठाना हो, स्कुल में Extra Class के नाम पर सिनेमा देखने का फितूर... एक साथ वो ही हम साथ साथ है और... ये दोस्ती हम नहीं तोड़ेंगे वाला Scene। एसा जाने कितनी बार हुआ था कि संजय और अमित पेट दर्द का बहाना बनाकर स्कूल एडमिनिस्ट्रेशन से रिक्शे के पैसे लेकर मौज मस्ती करने निकल पड़ते। स्कूल मैनेजमेंट भी वो हर साल कभी Donation, कभी Children's Day, कभी Teachers Day, कभी Annual Function के नाम पर जेब खाली कर देता था... तो इतना तो अपन का भी बनता है... यही उनकी Specialty थी... School Students से पैसे ले लेकर समृद्ध हो रहा था और ये दोनों School को ही चुना लगाने में लगे थे। 



वो July का महीना था... May-June के लंबे Summer Vacation के बाद फिर से School वाली दुनिया  रोजो नोबो दा के दो Ring के साथ शुरू हो गयी थी.... फर्क इतना था कि कुछ Teachers जो इन्हें खडूस लगते थे... गनीमत थी कि उनकी जगह खुशमिजाज Teachers आ गये थे.... ये Teachers सिर्फ किताबों में लिखी Theory ही नहीं समझाते बल्कि मजाक मजाक में Dance की Training भी दे देते थे। उमेश सर आंखों पर एक Silver Framed चश्मा, Blue Lined Shirt... Branded Pant के अंदर इतनी Tightly Innerted होती थी कि एक सलवट तक Collar से लेकर Shirt की आखरी छोर तक कही दिखाइ नहीं देता.... सिर्फ यही वो Teacher थे जिन्होंने इन दोनों नाकारा Students को Impress किया था.... Physics के Teacher थे... उमेश सर। उस साल दोनों ने Physics में Top किया था... इसीलिये नहीं कि दोनों उमेश सर के Favorite थे बल्कि इसलिये भी कि उमेश सर Practically किसी Conclusion तक बड़ी आसानी से पहुंचा देते थे। Physics का एक Practical Project बनाने की बात थी.... दोनों के Beyond Mind था कि कैसे करें.... क्या करें Time कम था - सभी Students के Project Accomplished हो चुके थे। मगर ये दोनों अभी Plan Design करने में Bussy.... फिर क्या था.... वही पेट दर्द का बहाना.... और Principal से मिले 20 रुपये में से 10 रुपये रिक्शा वाले को देकर अमित के घर पहुंच गये। अमित की मम्मी ने बड़ी हिकारत भरी नजर से देखा दोनों को जैसे बस बारूद का हमला होने ही वाला है - वो जानती थी दोनों की फ़ितरत को... Time से पहले जो आ गये थे.... नजरे चुराकर अमित के रूम में चले गये थे.... रूम क्या था... सरकारी Quarter था... अमित के Dad Railway में Service करते थे... हालात कुछ अच्छे नहीं थे... बस दाल रोटी का Arrangement हो जाता था.. मम्मी गुस्से में थी... गनीमत ये थी की अपने बेटे से ज्यादा संजय पर यकीन करती थी.... उसका झूठा भी उनके लिये सच होता था... गाहे-बगाहे... इसका फायदा अमित उठा लिया करता था। अपना कोइ काम करवाना हो तो संजय को सामने खड़ा कर देता और मम्मी दो मिनट में Surrender.... गुस्सा दो पल ठहरा और ममता उमड़ पड़ी.... संजय-अमित Project बनाने में मशगूल और मम्मी एक थाली में चावल - आलू का भुरता और अरहर की दाल लेकर आइ.... और नाराजगी - ममता की मिली जुली आवाज में फरमान जारी कर दिया...  लो खाना खा लो.... दोनों Bed से नीचे उतर कर दुनिया के सारे भेद भाव Differences भुलाकर एक ही थाली में खाना खाने बैठ गये... संजय खाता रहा और आंसू छलकते रहे .... अमित पूछता रहा... क्या हुआ.... और संजय के मन से सिर्फ एक कुलांचे भर रही थी.... इस कायनात की जितनी Moms है उनके हाथ के बने खाने का Taste एक जैसा ही क्यों होता है... आंसू की वजह सिर्फ इतनी यहां नहीं ठहरती.... मन के एक कोने में एक और उहापोह चल रहा था... एक Christian और एक जैन सिर्फ Friendship ही share नहीं करते...  थाली और थाली में माँ के हाथों की मिठास भी Share करते है..... This is called True & Unconditional Friendship !!

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