
दुनिया में तीन तरह के लोग होते है, एक जो आपसे निष्काम प्यार करते है, दूसरे वो जिन्हें सिर्फ आपसे अपना मतलब निकालने के लिये अपनापन है और तीन - वो जिनके पास आपसे नफरत करने के अलावा कोइ काम नहीं है। मेरी अब तक कि Life में तीनों Type के - तीनो Category के लोग मिले.... मगर Luckily निष्काम प्यार करने वालों की Quantity सबसे ज्यादा थी, जिनपर मैं Blindly भरोसा कर सकता हु.... उन लोगो के बारे में कुछ जानु या नहीं बस इतना जानता हूं कि वो कभी मुझे नुकसान नहीं पहुंचायेंगे और ना मेरा नुकसान होने देंगे। शायद इसीलिये - आंख मुंद कर मैं उन पर यकीन करने की जिद्द रखता हूं। बीते दस सालों में... मैं Count तो नहीं कर सकता मगर कितनी बार सैंकड़ो लोगो ने कितनी NGOs ने जताया कि उन्हें मेरी जरूरत है.... और मैं वो हु.... जिसे लगता है कि अगर किसी को भी लगे कि कही Problem है.... Issues है.... जिन्हें मैं Sort Out कर सकता हु... तो मैं दिखने में Hardcore जैसा मगर दूसरों की खुशी के लिये... खुद को पिघल जाने देता हूं.... मगर इस सफर में मैंने सीखा - आप अपने 24×7 भी किसी इंसान या किसी NGO को Devote कर दे.... जब तक आपसे काम है तब तक आपके इर्द गिर्द घुमते है - जरूरते खत्म तो सब कुछ खत्म.... In fact Gratitude Pay करना भी भूल जाते है। भूल जाते है कि जब कोइ साथ नहीं था.... तब सिर्फ 1 इंसान था.... जो हर सफर का हमसफ़र था... खैर मेरे साथ मेरे लिये एक बात कुदरत ने बहुत खूबसूरत दी है... मुझे Name और Fame के पिछे भागना नहीं सिखाया... तो मैं सिर्फ कृतत्व मानकर करता रहा... जो भी किया दिल से किया... मन का समर्पण उड़ेलकर किया... मगर आखिर वही... जो हर जगह... हर तरफ होता... Film किसी और कि... पटकथा किसी और ने लिखी.... और कमा कोइ और रहा है.... मन आहत तो हुआ... मगर सोचता रहा... चलो... कोइ ना.... क्या फर्क पड़ता है.... हम तो निखर ही रहे है। मेरा ये Helping Nature मुझे कहा ले जा था इस सवाल को शिनाख्त किये बगैर मैं चले जा रहा था और एक दिन मेरे God Father ने मुझे बड़े प्यार से Confess किया.... बिना किसी Activity के... सिर्फ किसी की खुशी के लिये अपना Talent Invest करना समझदारी पर सवाल उठाती है - जिन्हें Gratitude देना नहीं आता है उनके सामने अपने Attitude को मत झुकाओ.... और उस दो मिनट में... मैं जिस किसी NGO के लिये कुछ भी करता रहा अब तक.... फैसला कर लिया बस अब नहीं... लगा दिया Full Stop... अब जीता हु.... अपना Talent खर्च करता हु... तो सिर्फ अपने लिये और अपने God Father के लिये... Rest Nothing is Important for Me...
अभी बात बाकी है... जाने ये फितूर क्यु रहा मेरा अलग-अलग भाषाएं... अलग अलग Language सीखनी है... उर्दू के साथ भी कुछ एसा ही था.... अखबार पढ़ते पढ़ते... शेरो शायरियाँ सुनते कब उर्दू सिख गया इल्म तक नहीं हुआ। अब भाषण हो या गीत हर जगह उर्दू का तड़का होता... मुझे बड़ी मिठास महसुस होती उर्दू लफ्ज़ में बात करते हुए.... मगर एक बार के लिये शायद मैं भुल गया कि मैं एक परंपरा से जुड़ा एक मुनि हु.... यहां भी भाषा का बंधन है.... बस कहना है तो बस Hindi.... Hoots होते... Comment Pass होते.... और इन सबके तरीके हजारों थे। और इस तरह मुझे "मुल्ला जी" का Tag मिला.... मुझे कभी नहीं लगा कि कुछ गलत कर रहा हु... मगर जहां खड़ा होता.... वही मुझपर Comments किये जाते रहे... उर्दू शेरो शायरियां कहकर.... मैंने कभी किसी बात का बुरा नहीं माना.... मगर एक कसक मन में मलाल पैदा करता रहा कि किसी भाषा को किसी मजहब से किसी धर्म से क्यों जोड़ा जाता है.... प्रश्न का उत्तर तो नहीं मिला... मगर मेरे एक Fan ने मेरी उर्दू के प्रति पैदा हुए स्नेह की वजह से मेरे खिलाफ गंदे होते माहौल के लिये मुझे बड़े प्यार से अनुरोध किया.... बस वो प्यार की भाषा मुझे समझ आ गई... कानून से समझाओगे तो शायद कभी ना समझ पाउं.... मगर प्यार से दो मिनट में अपनी सारी बात मनवा लो... यही मेरा Attitude रहा है.... और उस दिन से उर्दू से धीरे धीरे किनारा होने लगा। अभी उम्र भी बाकी है... और दुनिया में सीखने के लिये हजारों भाषाएं भी... काम आये न आये.... बस जिंदगी के आखरी पल तक कुछ सीखते रहना चाहता हूं।
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