मैं फनकार कैसे बना ?


जिंदगी के सफर में कुछ होना कुछ बनना शायद उतना जरूरी नहीं है जितना कुछ होने का जुनून जरूरी है। कुछ चीज़ें किस्मत से God Gift नहीं होती.... जाने क्यू ये मेरा नशा है जो किस्मत से नहीं मिलता.... जो मुकद्दर से नहीं मिला... बस उसी चीज़ को हासिल करना... अब है वो है.... बचपन से एसा ही हु.... जिद्द पर उतर गया तो पाना ही है... चाहे कुछ भी हो जाये... Any How... In Any Condition... T.V. Radio पर गाने सुनना... रोज के Breakfast... Lunch... Dinner... जितना Necessary हो गया था... मगर गाना No Way.... हम तो Bathroom Singer ही ठीक है। कभी कभी भजन संध्याओं में भजन मंडलियों के साथ सुर में सुर मिलाने की कोशिश भर करता.... मगर हमेशा महसुस होता कि ताल में ताल नहीं मिला पा रहा हु... मैं अपने आपको हारा हुआ महसुस करता रहा.... फिर जिंदगी ने मुझे एक दिन दिया.... एक मौका दिया.... सभी को मिलता है.... बस उसे देखने की आंख होनी चाहिये। मुझे भी मिला.... दीक्षा लिये हुए 2 महीने हो गये थे... और उस रात को आचार्य महाप्रज्ञ के सन्निधि में भजन संध्या आहूत हुई। बड़ी देर तक अलग-अलग सुरीले कशिश भरे गीतों का सफर चल रहा था.... मेरे बदन में सिरहन सी दौड़ रही थी। मैं बार बार संयोजक को इशारों ही इशारों में इशारे कर रहा था.... मुझे भी Chance दे दो.... शायद गिड़गिड़ाने जैसा था.... बड़ी मन्नतों के बाद संयोजक ने मुझे मौका दिया.... मैंने पहली बार मंच पर अकेले परस्तुति दी.... कोशिश की... कि सबसे Best Perform कर सकू। गीत पुरा हुआ जो हुआ... कानों को तारीफें सुनाई देने लगी। मगर संयोजक जाने क्यों खफा थे.... डांट मिली... एसे कोइ गाना गाता है क्या... गाना नहीं आता तो गाने क्यों आते हो... आंखे डबडबा गयी... सवालों के उधेड़बुन में उलझने.... सबको पसन्द आया मगर इन्हें नहीं.... एसा क्या था... जो गलत था... जो सही नहीं था.. और वो मेरा Singing का पहला Performance था। उसके बाद मैंने संगीत में बहुत कुछ सीखा.... पूरे तीन साल संगीत सीखने में खर्च कीये... अब लोग मेरे गीत को हर कार्यक्रम की जान समझने लगे.... यू ट्यूब चैनल्स पर लोग मेरी आवाज पर कुछ यूं Compliments देते है.... " Never Heard this Soulful Voice " तो भी लगता है.... अभी भी बहुत कुछ बाकी है.... मगर आखरी सांस से पहले उस बहुत कुछ को भी हासिल करके जाने का इरादा लिये चलता हूं.... कभी न कभी तो मिलेगा रास्ता.... कभी न कभी तो मिलेगी मंजिल।

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