जब मैं मौत को छूकर लौट आया - 1


वो मेरी पहली गुजरात यात्रा थी, मेरे God Father के साथ। सिल्क सिटी - डायमंड सिटी से मशहूर - सुरत चातुर्मास। तेरह-तेरह मंजिलों की आसमान छूटे कॉम्प्लेक्स हजारों घर, और मेरी फितरत थी कि मैं तेरापंथ के हर घर तक पहुंचना चाहता था। और वो हुआ भी - 2 महीनों में लगभग 2 हज़ार घरों तक अपनी पहुंच बनाने में सफल हो गया। मगर अब भी डेढ़ हजार घर बाकी थे। और मेरे पास वक्त सिर्फ 2 महीने.... मैं अपने आपको हर हाल में ढालने की कवायद कर रहा था.... तस्सली थी कि लोग खुश थे.... कुछ एसे भी मिले जो अपने घर में मुझे देखते ही उनकी आंखें छलक उठी.... 20-25 साल से वो सूरत में थे मगर तेरहवीं मंजिल पर किसी संत के चरण स्पर्श ना हो पाये। 

वो पर्युषण पिघल गये थे.... शाम को यही कोइ साढ़े चार बजे थे, गोचरी करके सिटी लाइट तेरापंथ भवन लौट रहा था..... अचानक पेर ठिठक गये.... कुछ धुंधला सा दिखने लगा... मैं एक Hospital में हु... हाथ में Fracture है..... समझ में नहीं आ रहा था.... एसा क्यों हुआ ?? खैर नजरअंदाज कर मैं आगे कदमताल कर गया.... जुम्मा-जुम्मा दो दिन हुए.... आचार्य श्री महाश्रमण जी के गुजरात पदार्पण की तैयारियां शुरू हो गयी थी। मीटिंग में अपने मन की बात Share कर रहा था.... अचानक पेट में मीठा सा दर्द होने लगा.... मुझे लगा कोइ Gastric Problem है.... Meeting छोड़कर में अपने Room में चला गया.... सो गया.... शरीर में पसीना तरबतर बहने लगा... दर्द चीत्कार में बदलने लगा.... एक.... दो... तीन.... कितने Doctors आये... कितने Painkiller के Injection लगे... याद नहीं। मगर लग रहे..... मगर दर्द था कि कम होने का नाम ही नहीं ले रहा था। बस मुझे इतना इल्म था कि मैं मर रहा हु मौत के करीब जा रहा हु... बस कुछ पलों के बाद मुझे एक Wheel Chair पर Hospital ले जाया गया.... मेरे गॉड फादर मेरे साथ साथ... उनके चेहरे पर मेरा दर्द साफ छलक रहा था - खैर हॉस्पिटल पहुंचते ही Doctor ने फौरन Admit करने का कहते हुए आगाह किया... अगर आधा घण्टा Late होते तो Case खत्म हो जाता.... बड़ी मुश्किल से E.C.G कराया... Anesthesia कब दिया गया.... कब OT में पहुंचा... कब ऑपेरशन हुआ... सब कुछ बेहोशी में हुआ - 2 दिन बाद होश में आया - 2 दिनों से Glucose चढ़ रहे थे.... होश में आने के 1 घण्टे बाद Feel हुआ - Washroom जाना चाहिये..... मेरे God Father परछाई की तरह मेरे साथ थे... वो मुझे Washroom तक ले जाने लगे... अंदर मैं अकेले ही चला जाऊंगा... मैंने गुजारिश की और वो Convince हो गये.... मैंने Gate बंद किया.... अब तक सड़क पर मिले Intuition में से एक बात नहीं हुइ थी..... Bone Crack नहीं हुआ था.... और मुझे पता नहीं क्या हुआ... शायद चक्कर आये और मैं Washroom में ही धड़ाम से गिर पड़ा.... एक मिनट को उस धड़ाम की आवाज से बाहर सबका दिल धक सा रह गया.... मुझे उठाया गया.... वो पल बहुत Panic थे.... Dr. ने X-Ray Advice किया..... और X-Ray ने Result दिया.... Left Collar Bone में Crack है.... तो ढाई महीने का Plaster चढ़ गया। और Intuition में जो Incomplete था.... उसमें सब Complete हो गया था... वापिस कभी Normally चल पाऊंगा - मेरे God Father... मुनि श्री भूपेंद्र कुमार जी और साथी संतो की सेवा से मैं फिर जीने की तैयारी करने लगा.... कुछ महीनों के Bed Rest के बाद Normally सीढ़िया चढ़ने उतरने लगा... बस मलाल की... कुछ घरों तक पहुंच नहीं बना पाया। बस खुशी थी कि मौत को झांसा देकर आ गया था। 

ठीक 5 साल बाद फिर एक बार में मौत से मिला.... वो कब ? कैसे ? कहा ? बताता हूं.... अगले शुक्रवार।

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