जब मैं मौत को छूकर चला आया - II


मौत से डर उन्हें लगता है जो जी भर कर जी जी भर कर जी जी कर जी जी नहीं पाये हो। मुझे अब मौत को गले लगाने में कोई अफ़सोस नहीं होगा। जी चुका हूं.... अपने हिस्से की जिंदगी... अपने कर्तव्य निभा चुका हूं... बस एक कर्तव्य बाकी है - मेरे God Father के हर सफर में परछाई रहा.... और हमेशा रहूं।

8th March 2018 की Flash Back पर ले जा रहा हु... जाने क्यों किसी अनहोनी से पहले Intuitions मिलने लगते है - मेवाड़ की सरहद गुलाबपुरा.... बिजयनगर की ओर यायावरी थी... हमेशा साथ रहता हूं.... किसी वजह से ठहरा तो वक्त 10 मिनट आगे सरक गया और मैं अपने God Father से 10 मिनट दूर हो गया... गनीमत यह थी... सफेद लिबास में लिपटे मेरे God Father मेरी आंखों की नजर से दूर नहीं गये थे। और उनके साथ क़ासिद था... मैं Tricycle के साथ Service Lane पर था.... तेज रफ्तार से ट्रक बिल्कुल करीब से गुजर गया.... जैसे किसी Mission Impossible पर ही निकल गया हो... जोर से जैसे किसी तूफानी हवा का झोंका छू गया हो छू गया हो। आंख फड़कने लगी... किसी अनहोनी का अंदेशा होने लगा... लगने लगा कि आज कोई हादसा होने वाला है मेरे साथ.... महसूस होने लगा आज जिंदगी का आखरी दिन है... रोम रोम में सिर्फ डर घुल रहा था... कि मेरे God Father का क्या होगा ? इस उधेड़बुन में चलता रहा था... हो सकता है सिर्फ जंजाल ही हो... सिर्फ एक ख्याल हो... जिसने मन को किलसने मजबूर कर दिया.... ये अचानक मुझे क्या हो गया.... कुछ कुछ पल के लिये अंधेरा सा पसर गया।

मैं सड़क पर 3-4 Roll खाकर गिर गया.... इतना सब कुछ कितने मिनट में हुआ... मुझे कुछ भी पता नहीं चला। खुद ही संभलकर उठा.... तब तक आस पास तेज़ी से भीड़ बढ़ती जा रही थी... सारी की सारी भीड़ टुकुर टुकुर मुझे देखे जा रही थी... जैसे कह रहे हो कि... भगवान का लाख लाख शुक्र है.... शुलि की सज़ा शुल में ही टल गई... मेरे फ़टे कपड़े कइ जगह से मेरे जिस्म में झांकने की लोगों को इजाजत दे रहे थे। जहां-तहां से खून रिस रहा था... माथे से... नाक से... हाथ-पैर और कहा-कहा से पता नहीं... खून पिघल रहा था। मेरे पिछे कोइ ट्रेवल बस खड़ी थी.... इतनी देर बाद समझ आया कि मेरा Accident हो गया था... वो भी भयानक.... हौलनाक.... बस से सब उतर कर मुझे देखने लगे थे.... बस Bus Driver गायब था... उसी बस के पिछे एक Truck ... मतलब बस ने Break लगाया ही होगा... और पिछे से Truck ने उसे जोर से टक्कर मारी... और बलि का बकरा मैं बन गया.... मेरे God Father... मुनि श्री का चहरा पीला पड़ने लगा.... जैसे Jaundice ही हो गया हो... एक होटल कुछ कदम की दुरी पर है... लोगो ने कहा वही Rest कर लो... Doctor आ रहे है... मैं मुनि श्री को और डरा हुआ नहीं देख सकता था। इसीलिये ये कहते हुए की मैं बिल्कुल ठीक हु.... मुनि श्री के साथ साथ अपने लक्ष्य के बाकी तीन किलोमीटर की यात्रा पुरी करने कदम कदम चलने लगा... दर्द से कराह रहा था... मगर मेरे God Father को Realize भी नहीं होने दिया। क्योंकि सिर्फ मुझे पता है कि मेरी तकलीफ उनके लिये कितनी तकलीफदेह होती है। ट्राइसाइकल के परखच्चे उड़ चुके थे, उसे सर्विस कराने किसी Pick up से भेज दिया गया... कुछ Internal चोट भी थी.... जिनका जिक्र मैंने Doctor के सिवाय किसी को नहीं किया... ज़रा सा Dettol... Betadin... Bandage की Dressing... और दो तीन Painkiller के साथ Antibiotic... बस इतना Treatment और जिंदगी लौट आयी थी... अगले दिन से फिर मैं Normal नहीं होकर भी Normal ही पैदल चलने लगा... ताकि मेरे God Father को कुछ भी महसुस ना हो। 

Coincidentally उस Area के Session Judge... मेरे God Father की भतीजी... Meghna Jain थी... हम Destiny पर पहुंचे.... Police का एक बड़ा जाब्ता मेरे इर्द गिर्द घूमने लगा... शायद वो S.P थे.... जिसने मुझे कइ बार पुछा की आप अपना बयान दे दे कि Driver ने आपको टक्कर मारी... बाकी उसे Jail भेजने की जिम्मेदारी हमारी... एक मिनट लगता... बयान देने में... मगर मेरा Conscious Allow नहीं करता... मैंने साफ इंकार कर दिया... जो भी हुआ... मेरा कर्म था... उसमें ड्राइवर की क्या खता... मुझे कोइ बयान नहीं देना... और Police मायुस लौट गयी... खुशी थी की Driver और उसके परिवार के साथ मेरी वजह से कुछ गलत नहीं हुआ... मौत इतनी दर्दनाक होती है... सिर्फ सुना था... अब जीने के नये आयाम ढूंढने चला हु।

Comments

  1. बहुत रोमांचक
    मत्थेंन वन्दामि

    ReplyDelete

Post a Comment