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I SEE HUMANS BUT NO HUMANITY
NO RELIGION IS HIGHER THAN HUMANITY
मेरी आँखों पर धुंधलेपन की रेशमी चादर बुन गई थी। नयन युगलों ने जो देखा वो कुछ पल का दृश्य ना जाने क्यूं रोम रोम में कैद होकर किसी नुकीले कांटे की मानिंद चुभ रहा था और मन पर लगे घाव थे कि कोइ मरहम था ही नहीं। एसे कोइ माँ कैसे बेदर्द हो सकती है ?? मैं तो एक पल के उस हौलनाक दृश्य की दुनिया से दूर हो चूका था मगर यह सवाल साया बनकर रह गया। उस सड़क ने मुहाने पर उस मादा स्वान ने एक साथ 8 पिल्लों को जन्म दे दिया... यह तो कुदरत की सौगात ही समझ ले... मगर बस दो पांच दिन ही गुजरे थे की अपनी भुख को तृप्ति देने अपने ही पिल्लों एक पिल्ले को अपने नुकीले दांतो से नोंच नोंच कर खा गइ। कैसे आखिर कैसे उसकी ममता एसा घिनोना कृत्य करते हुए दहल नहीं गइ। अरे वो तो जानवर है....
हम तो रोज अखबारों के काले काले आखरो से गुजरते हुए इंसानो की दुनिया में नरक को पढ़ते हैं। ये नरक ही तो है जहां एक माँ जाने किस मजबूरी का दंश भोगते हुए अपनी अजन्मी संतान को मशीन के हाथों कोख में टुकड़े टुकड़े करके उन टुकड़ो को एक Carry Bag को सौंपकर किसी कचरे के ढेर में शामिल कर देती है। Unfortunately गरीबी के साये में जी रही कोइ बेटी जब ससुराल के आंगन पर दहेज की ऊंची दीवारे खड़े ना कर दे तो केरोसिन डालकर जला दी जाती है। कभी किसी बच्चे को गंदे नालों के मुहाने पर तो कभी हॉस्पिटल के गंदे गलियारों में लावारिस छोड़ दिया जाता है। ये कैसी Parenting है, ये कैसी ममता है जो इंसानो में जानवरो से भी Worst है। बच्चे अपने हो या पराये क्यूं उनके लिये दिल में Sensitivity Flash नहीं होती। क्यूं एक आठ साल की बच्ची को हवस का शिकार बनाकर उसे बेदर्दी से मौत के मुह में धकेल दिया जाता है। ये हम Conscious लोगो की किस दरिंदगी का असर है कि हम अपने आने वाले कल का अपने हाथों से गला घोंट रहे है। सवाल मेरा है जवाब पूरी कायनात से चाहता हूं।
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