NOTHING IS IMPOSSIBLE
NOTHING IS IMPOSSIBLE.....
वो यतीम था - दीन दुनिया से बेखबर.... जिन्दगी की राह पर तन्हा - अकेला, बचपन ने हाथों में खिलौने तो नहीं दिये मगर माँ-बाप के ममता की छांव ही छीन ली। आसमान की चादर ओढ़कर सड़क के बिछौने पर चिथड़े चिथड़े हुए कपड़ो में बड़ी बेपरवाही से नींद की गोद में चला जाता.... भोर की किरणे आँखों पर आपकर ठहर जाती तब कही जाकर वो सन्नाटे तोड़कर सड़क पर दौड़ते शोर को महसुस कर पाता। रात भर का उपवास Highway के मुहाने पर खड़ी चाय की दुकान में झूठे Glass साफ़ करने के बाद मिलने वाली एक ग्लास चाय और 2 बिस्किट से टूटता। रोटी कभी मिलती कभी नहीं। मगर उसने अपने स्वाभिमान को कभी दांव पर लगने नहीं दिया। दिन भर की मेहनत-मजदूरी के बाद जो थोड़े बहुत पैसो का जुगाड़ होता उनमें से कुछ खर्च करके ढाबे से रोटी खा लेता। पढाई...... कैसे करता... राजकीय विद्यालय की खिड़की के मुहाने पर खड़े रहकर बस साक्षकर होने के अपने जुनून को अर्थ देता रहता। वक्त कब पंख लगाकर उड़ गया - बचपन ने कब जवानी की ताजपोशी कर ली थी। ये वक्त को भी पता नहीं चला।
वो कहते है ना कुदरत जब एक खुशी छिनती है तो हजारो खुशिया उड़ेल देती है। अब उसके पास देश के एक बड़े Corporator होने का tag था... डिग्रियां थी.... पैसा Assets... वो सब कुछ जो एक बड़ा आदमी होने के लिये जरूरी होता है। देश के Top Corporator में उसका नाम शामिल था। जो कल तक Zero था वो आज हर दिल का Hero बन गया.... अब वह हर अर्से करोड़ो रुपयों की Charity करता है.... उन गरीबो के लिये जिन्हें दो वक्त की रोटी भी नसीब नहीं होती। वाकइ गरीबी को औजार बनाकर गरीबी की जड़ो को नेस्तनाबूत करने का इरादा सपनो से हकीकत की जमीन पर आकर उतर गया।
दिलचस्प यह नहीं की मुश्किलें कितनी बड़ी है, रोमांच सिर्फ इरादा पैदा करता है। छिन लेने दो किस्मत को जो चाहे, जब चाहे, जहां चाहे, जिंदगी से.... बस यह ना भुलो की आप खास है। चुनौतियों का चेहरा चाहे कितना भी भद्दा क्यों ना हो जुनून से ज्यादा इस कायनात में कुछ भी ताकतवर नहीं होता। जन्म कोख से पैदा होकर राख में तब्दील होने के लिये नहीं मिला.... वो जो लगे कभी नहीं सकता, वो जो किस्मत में लिखा नहीं है, वो जो लगता है असंभव है.... बस उसे हर हाल में कुदरत से छिन कर जी लेना ही जिंदगी है।
क्या फर्क पड़ता है - हाथों की लकीरों में सड़को पर रात गुजारना लिखा है, या चाय की दुकान पर झुठे कप-प्लेट साफ करना.... फर्क इससे पड़ता है कि क्या आप इससे आगे सोचने की Daring अपने जहन में रखते है। समय आपकी मुट्ठी में है, उसकी हवा को आप किस रुख की ओर मोड़ते है। चाह में राह हमेशा छिपी होती है। चाहकर देखे पूरी कायनात आपकी चाहत को आपसे मिलाने को कटिबद्ध हो जाती है।





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