WE RISE BY LIFTING OTHERS !!
Only a Life lived for others is a Life worthwhile...
बचपन से अब तक एक गीत की पहली पंक्ति मन के बहुत करीब है। " ये जिन्दगी उसी की है जो किसी का हो गया " किसी के होकर ही हम अपने वजुद के रंग को चटख बनाते है। इस खनाबदोष जिन्दगी में अक्सर देखा है - कुछ वो है जिन्हें अपने आपके सिवा कुछ सोचना भी गवारा नहीं होता और कुछ वो भी है जो अपनों के लिये अपना सब कुछ Devote कर देते है।
मेघा ने बचपन की दहलीज पर कदम रखते ही अपने मम्मी पापा से स्वाभिमान खरीद लिया था। जिंदगी की यात्रा पर कदमताल करते हुए जब संघर्ष नासुर बनने लगे तो सीने में जज्बा लिये बैबाकी से उनसे जंग लड़ती रही और फतह करती रही। जब Talent को नाम और शौहरत के आसमानों में ले जाने के Shortcut अपनाने का लालच दिया गया तो कुछ कागज़ के टुकड़ो के लिये अपना जमीर बेचना उसे गवारा नहीं था। आन और मान से ज्यादा उसकी नज़र में कुछ भी ज्यादा Precious नहीं कभी नहीं हुआ। देखते ही देखते अपने दम पर दुनिया को मुट्ठी में करने का जज्बा रखने वाली एक छोटे से गांव की लड़की एक बड़ी Civil Officer बन गयी। नेता हो या अभिनेता, गायक हो या खलनायक... एक दुबली पतली छरहरी काया में सिमटी मेघा की इमानदारी और बैबाकी का खौफ घर घर सुबह के Newspaper की तरह पसर गया।
मेघा उम्र के उस देहरी पर खड़ी थी जब बेटियों के हाथ पिले करने की सुगबुगाहट शुरू हो जाती है। एक ओर Civil Service के बीच हर साल तबादले... हर बार नया शहर... फिर माँ की बीमारी... तिस पर Continuously... बिन रुके-बिन ठहरे-बिन थमे काम करते रहने की आदत ने आँखों की रौशनी को कमजोर बना दिया था। बड़े Hospitals, बड़े बड़े Doctors सबने हाथ जोड़ दिये। उसने बचपन से अब तक जो अध्यात्म से सीखा... संस्कारो में हासिल किया उसे अपनी तकलीफों का ढाल बना लिया। माँ की बीमारी, भाइ की पढाई, रिश्तों की परवरिश, अपना Career - इन सब किरदारों को अकेली अदा करती हुइ मेघा ने दुनिया भर की बेटियों की तरह सात फेरो के बंधन में नहीं बंधी, अब उसके वजुद की वजह - मम्मी की सेवा, भाइ की पढ़ाई, घर की जिम्मेदारियां और अपनी पहचान थी। हर सांस बस इसी जवाबदेही को न्योछावर हो चुकी थी।
इससे बेहतर जिंदगी की परिभाषा और क्या होगी कि हम अपनी जिंदगी किसी की खुशी को - किसी की मुस्कुराहट को, किसी के दर्द को, किसी की तकलीफ को Devote कर दे। सिर्फ खुद के लिये जीना तो खुदगर्जी है ना।
खुशियां उनकी जहागीर होती है जो औरो की खुशियों की परवाह करते है। औरो के लिये जीकर देखे, जीने का जायका Yummy Yummy ना हो जाये तो कहना। एक कामयाब इंसान की सबसे बड़ी कामयाबी है उसके अपने फैसले। इन फैसलों में एक जमीनी फैसला है - किसी का होकर जीना। कभी कभी जब अपनी जरूरतों से ज्यादा औरो की जरूरतें Valueable हो जाये तो समझ लीजिये आप मसीहा बन रहे है। और आपके दुश्मन कम से कमतर होते जा रहे है।







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