अटल " अमर " है....
कितने युगों को उन्होंने सियासत के इंद्रधनुषी रंग दिखाये, चाणक्य उनमे जिंदा हो गये थे। कभी जीत - कभी हार, कभी रोशनी-कभी अंधेरा सब कुछ देखा मगर मायुसी को चेहरे के फर्श पर उतरने नहीं दिया। यही तो उनकी लीला थी। जरा सा कुछ कहते और लाखों के दिलों में उतर जाते। शोख नवाबो के और आदर्शो से हमेशा जमीन पर, सिद्धान्तों के लिये अपने अजीजों पर भी उंगली उठाते देर नहीं लगाते। कुछ बड़ा करने का ख्वाब हमेशा से ही उनकी आंखों ने पला और उनमे रंग भर दिये। ये उनके दिमाग की जादुगरी ही तो थी कि उनकी शाइनिंग इंडिया के लतीफों को पक्ष और प्रतिपक्ष चाव से सुनने का लुत्फ उठा लिया करते थे
वो राजनीति से जिंदा थे और राजनीति को उन्होंने आजाद कर दिया, भारत को बता गये कि भारत क्या कर सकता है, दुनिया को जता गये कि भुल कर भी हिंदुस्तान को कमतर समझने की भूल ना करना, वरना उस हर भुल का खामियाजा जिंदगी भर भुगतना होगा। पोखरण में परमाणु परीक्षण, यो या जी.एस.टी की बुनियाद रखने की पहल... सड़क से सड़क... पानी से पानी के एक एक बूंद को पूरे हिंदुस्तान से जोड़ने की मुहिम, उनका हिंदुस्तान को सबसे ज्यादा ताकतवर बनाने का वो नशा था जो उनकी रगों में खून के साथ रोज दौड़ने लगा... बस यही उनकी ताकत थी... यही उनकी कमजोरी... और उनके विजेता होने की निशानी थी।
खिलाफत तो हुइ होगी मगर अपने लिये नफरत को किसी के मन मे कभी घुसपैठ नहीं करने दी, ये है एक नेता की कद्दवरी। अगर वो नेता है, अगर वो जनसेवक है, अगर वो जन प्रतिनिधि है तो अपना कद इतना उंचा उठा लेगा कि बैर, घृणा, नफरत जैसे शब्दों के परिंदे उनके आस-पास भी अपने पर फड़फड़ा नहीं सकते। वो किसी के मन को घायल नहीं करते, वो किसी की आह नहीं लेते, वो अपने से कमजोर, अपने कद से जरा नीचे ठहरे लोगो को उंचा कद देने में अपना Quality Time Invest करते है।
उन्हें रहबर कहना, मार्गदर्शक पुकारना और नेता बोलना। नेता शब्द की तौहीन है जो आम आदमी के दर्द के हमदर्द नहीं बन सकते, जो अत्याचारो के खिलाफ दकियानुसी परम्पराओं के खिलाफ जंग लड़ने से खौफ खाते है।
नेता दिलों को जीतते हैं, वो हर एक दिल के मैदान को फतेह करते है, उन्हें फिक्र होती है आम अवाम की तकलीफों की, वे परवाह करते है देश की, देश के सेहत की, ये खुबिया ही उन्हें कुदरत के हाथों से दी गई सबसे बड़ी नैमत होती है।
हा... मैं भारत रत्न श्री अटल बिहारी वाजपेयी का अनुशीलन कर रहा हूं। उनका प्रमाण सिर्फ एक नियति है, मगर वो मर नहीं सकते, उनका कुंवारापन कभी उनकी तन्हाइ का कारण नहीं बन पाया। क्योंकि उनके हर एक कदमों की आहट से उनके नक्शे कदमों पर चलने वाले लाखों कदमों की भीड़ अपने घर आंगन से निकलकर कदमताल करने लगती। उनके सदियों तक अमर होने का, जिंदा रहने का सबुत देती रहेगी उनकी धड़कनो को धड़काती कविताये, उनके आदर्श, उनके सिद्धांत, उनके उसुल, उनकी महिमा, उनका कद, उनकी प्रतिष्ठा, उनकी कहानियां.... और उनकी प्रेरणाएं।
वो मर नहीं सकते, कभी नहीं... कभी ही नहीं।







Comments
Post a Comment