बेटी को माँ की पांति....






रात में पाहरे सन्नाटे ओढ़ लिये, ओस बूंदों से नहाये बाग में रातरानी की सौंधी-सौंधी महक दूर दूर तक हवाओं का आलिम्बा कर खिड़कियों के रास्ते से घर के चप्पे-चप्पे पर दस्तक दे रही थी। डाइनिंग हॉल में खुबसूरत सनमाईका पहने खड़ी टेबल पर जल रही नाईट लैम्प की दुथिया रोशनी अंधेरे से जंग लड़ रही थी। उस लेंप की रोशनी में माँ दुर बेठी सयानी हो रही बिटिया के नाम आर्चीज़ के फुलस्केप लेटरपैड के गुलाब के पन्नो के प्रिंटेड पेज पर अपने अरमान लिख रही थी। रमा आज 20 साल ही हो गई थी, खुशी थी कि यु.एस.ए के ऑक्सफ़ोर्ड यूनिवर्सिटी में इस साल भी वो टॉपर थी। खत तो हर हफ्ते एक लिखती थी.... मगर आज खत में कोइ औपचारिकता के लिये कोई जगह नहीं थी। कागज पर जाने क्यू मशीन की तरह बिन रुके.... बिन ठहरे कलम चलती ही जा रही थी। आज माँ ने ठान लिया था.... जो गलतियां उसने अपनी जवानी में की अपनी बेटी को दोहराने नहीं देगी। अपने 40 साल के सारे अनुभव वो उड़ेलती ही चली गई...........




चुटकी अब तू बड़ी हो रही है, अमेरिका और हिंदुस्तान की तहजीब में धरती और आसमान धरती और आसमान जितने फासले है। मत भुलना हमारा अपना वतन है, हमारी अपनी मिट्टी है, हमारी अपनी संस्कृति है, पुजा-आराधना, त्योहारों की प्रणाम की  अभिवादन की संस्कृति... शर्म और लज्जा की, आस्था और समर्पण की, संस्कृति... और फिर तुझे यही आना है... यहां जहा प्यार का सरोकार Live in Relationship नहीं... पवित्रता... ममता... हमदर्दी... अपनापन होता है।

जाने क्यूं दुनिया बेटियों को स्यापा समझती है, मेरी छुटकी तो मेरा जैकपॉट है। देखना जब तू 21 की हो जायेगी ना... तेरे पापा तेरा बॉयोडाटा डिज़ाइन करवायेंगे तो आंगन पर कतार लगेगी... हेंडसम और स्मार्ट लड़को की... कहेंगे कि मैं आपकी बेटी को हमेशा खुश रखुंगा.... इसका हाथ मेरे हाथ मे दे दे... तो गर्व से सीना ताने कहूंगी देखो - परिवार के बगीचे का सबसे महका खुबसूरत फूल है, बेटियां संसार का नूर है, बेटिया खुशियों का खजाना है.... एसे ही थोड़ी ये बड़े बड़े Business Tycoons घर की देहरी के बाहर उसे अपना जीवन साथी बनाने का इंतजार करते।



तुझे पता है रोज हेंडपम्प पर पानी लेने जाती हुई औरते अपने घर मे झांककर रिवसियाने हुए तंज कसती है... एक ही हुई.. वो भी बेटी... मैं तब रोती नहीं हूं... मेरी आँखे नम नहीं होती... मैं अभिमान से भर उठती हु की मेरी बेटी.... बेटे से एक कदम आगे है - तू आई.पी.एस बनकर लौटेगी ना, तेरी लाल बत्ती वाली कार के पिछे जब कारो का कारवां चलेगा.... जब तेरे कार से उतरते ही - मीडिया की भीड़ तुझ पर कैमरा के फ्लैश मरते हुए सवाल पर सवाल करेगी और तू Smile देना। मेरा काम करने का अंदाज ही यही है कहते हुए आगे बढ़ जायेगी... तब कहूंगी दुनिया को मेरी छुटकी मेरी गलती नहीं मेरी कामयाबी है। मेरा स्वाभिमान है। 

सही कह रही हु ना मैं.... गर्व करूंगी ना मैं तुझ पर। हां में जानती हूं वहा रोज रोज पिज्जा-पास्ता खा कर तू बोर भी हो जाती है और बीमार भी... कुछ वक्त अपने लिये निकाल लिया कर... अभी नहीं आया तो कब काम आयेगा... मेरे खाना बनाने का सिखाया हुआ हुनर। ऑफिसर हो या बिजनेस वीमेन.... जब ससुराल की दहलीज पर कदम रखेगी..... तब भी तो करना है.... अपने लिये ही तो करना है - फिर के स्टेटस सिम्बल कहा से बीच मे आकर घुसपैठ कर देता है। तुझे Versatile होना है.... पहलू कोइ भी हो... चैप्टर कुछ भी हो मेरी छुटकी का किसी भी Aspect में कोइ Weak Point नहीं होगा.... कोइ मेरी गुड़िया पर उंगली नहीं उठायेगा... क्या अपनी ममा से ये प्रॉमिस कर सकेगी। 




मैं सुन रही हु ज्यादा पढ़ी लिखी लड़किया Egoistic हो जाती है.... किसी के साथ Adjustment... Compromise.... Cordinate कर पाना उसकी हैसियत से बाहर हो जाता है.... बेटा - नसीब वालो को मिलते है रिश्ते...  ये पुरी कायनात Boomrang है - जो हम देते है वो वापस लौटकर आता है, हम जितने ज्यादा लोगो से जुड़ते हैं उतने ही ताकतवर हो जाते है, सिर्फ रिश्ते बनाने से सब कुछ नहीं होता, उन्हें निभाना भी तो होगा ना, अपने Ego को हाशिये में रखकर... अपने दिमाग पर आइस फेक्ट्री और जुबान पर आइस फेक्ट्री लगाकर... तू भी लगाना...

और एक आखरी बात, आज ही अखबार की सुर्खियां बनी खबर पढ़ी - जिसमे जिक्र था एक एसी लड़की का जिसने जिंदगी से हताश होकर खुदखुशी कर ली... और अपने पीछे छोड़ गई आंसुओ का संसार, दुखो का सैलाब और कानून के हजारों लाजवाब सवाल.... बेटा - जिंदगी कुदरत का सबसे बड़ा नैमत है। हम कॉलेज के इम्तिहान में हारे या परिवार के, उस हार का अगला कदम जीत की प्रेरणा होनी चाहिए ना कि खुद्खुशी... चाहे कुछ भी हो जाये, जिंदगी को जी भर कर जीना है हमें.... जिंदगी से क्या हारना... पतझड़ो के बाद बहारे भी तो आती है। बेटा तुझे अपनी जिंदगी का हर फैसला लेने का हक़ है, मैं तुझसे तेरा हक नहीं छिनूंगी, मगर इतना सा वादा चाहूंगी कि मुझे अपना दोस्त मानकर सब कुछ Share जरूर करना.... मन तो हल्का होगा ही... अनुभव और जुनून की हमजोली हुई वो समाधान की दस्तक देगा.... एसा मेरा यकीन है - बस कुछ छुपाना मत मुझसे.... क्योंकि बच्चे कुछ भी कर ले.... माँ-बाप में सामने झुठ बोलते हुए आसानी से पकड़े जाते है। और मैं भी एक औरत हु.... बेटी होकर गुजरी हु - हर उस दौर से.... जहा से अभी तेरी आवाजाही है... समझती हूं कितना मुश्किल भरा सफर होता है एक लड़की का.... एक वादा में करती हूं... किसी भी मोड़ पर.... अपने आपको कभी अकेला मत समझना.... तेरी ममा हमेशा हर मोड़ पर तेरे साथ  तेरा साया बनकर खड़ी रहेगी।

ढेर सारा प्यार तेरी माँ 



ये लिखते लिखते लेटरपेड का आखरी पेज ही खत्म नहीं हुआ..... बल्कि पेन की स्याही भी। जाने इतनी देर तक आंखों ने दूरी क्यों बनाये रखी.... खत लिखना क्या खत्म हुआ दबे पांव नींद ने आंखों में दस्तक दे दी.... एक सुकून था.... एक शांति की लहर सी दौड़ गयी थी मन के रैशे-रैशे में... की बेटी को Life की Chemistry सीखा कर आ रही है।

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