Time Changes.....

 
 
घड़ी की सुइ टिक-टिक की खनक छोड़कर वक्त को कहा ले जा रहा है - सवाल भी यही था - आज भी यही है - और कल होगा या नहीं सब कल की कोख में है। समय का पहिया कैसे कहा कब किसे घुमा दे किसे पता है। 
 
 
 

Teachers Day था.... अपनी Best... Favorite.... Teachers को Wishes और Gifts सभी दे रहे थे मैंने भी दिया। Idea नहीं था.... और ना इतनी Maturity कि इस Decision तक पहुंच जाऊं कि Teacher की जरूरत क्या थी। हां Gift देते हुए मन के कोने में डर दोमुंही सांप की तरह फन फैला रहे थे। कही मेरे Gift उन्हें पसंद नहीं आया तो... कही उस Gift की जरूरत नहीं होने पर किसी और को Pass कर दिया तो.... आखिर डर के आगे जीत है की धुन में धुनी समाकर कीमती तो नहीं फिर भी प्यारा सा तोहफा अपनी Favorite Teacher के मखमली हाथों में Dedicate करके आ गया.... और Return मिली एक जादुई Smile और एक प्यारा सा मिठास घोलता लफ्ज़ " Thanks ", और में वो Thanks सुनने वालों में से आखरी Student था.... Class में सन्नाटा पसर गया। सब Assembly की ओर कूच कर चुके थे। मैं और मेरी Class Teacher अबसे आखरी में पहुंचे। आज किसी की किस्मत का Jackpot खुलने वाला था। Lottery तो 5 Rupees Pay करके सभी ने ली थी। किसी ने दस किसी ने बीस। मैं.... सिर्फ 1 टिकिट.... क्योंकि Pocket Money... Teacher के Gift में खर्च हो गये थे। तो बस बमुश्किल एक ही Ticket Manage हो पाया। ना उम्मीद थी.... न Expectation... कि कोइ Gift Hamper मेरे हिस्से में भी आयेगा। 
 
 
 

Announcement.... एलान शुरु हो चुका था.... हर एक Announcement से पहले मेरा दिल... धक.... धक... धक.... धड़क रहा था। शायद मेरे साथ सभी का। पता था कि Assembly के बाद कुछ चेहरे.... मुस्कुरायेंगे... और Rest अपना बोझिल Bag ही नहीं मायुसी भी उठाकर घर की ओर रवानगी लेंगे। 
 
 
 

ये क्या Number Announce हुआ... मैं ख्यालों के ताने-बाने बूनते हुए कुछ Clear नहीं सुन पाया.... 5 Second के बाद Thrice... एक ही Number को Announce किया गया तो सबकी तरह मैंने भी अपनी नजर अपने Ticket पर गड़ा दी.... और 6th Line... में खड़े खड़े Ticket को Right Hand में लेकर Excitement में शोर मचाने लगा.... Sir... Sir... Sir... It's Mine... पहली बार Publicly Winner बनने का Excitement और खुशी क्या होती है - उस Moment में कोइ मुझसे पुछता तो मैं 4-5 Page की एक Article तो लिख ही देता। 
 
 

मंच से संजय जैन.... Please Welcome With Ticket Number 275... Announce हुआ... और मैं लगभग... भागते हुए मंच पर पहुंचा.... Sir... मुझे एक Branded Wall Clock दे रहे है.... Photographer Flash मार रहा है - और मैं खोया हूं.... तालियों की गड़गड़ाहट में। हंस रहा हु या खुशी के मारे रोने लगा हु के Consciousness से बाहर सिर्फ मुझे अपने लिये तालिया सुनाइ दे रही है.... मेरा ये सपना था कि कभी मेरे लिये भी इस विराट Assembly Hall में तालियों की गूंज हो। मेहनत से नहीं तो क्या हुआ किस्मत से ही सही। आखिर Claps का Honor तो मिला। और मिली दीवार घड़ी। इस खुशी से ज्यादा एक खुशी और थी कि अब रोज रोज Neighbors को Time क्या हुआ है पुछने पर Irritate नहीं होंगे, क्योंकि मेरे दीवार पर ही हर Second इस सवाल का जवाब होगा। Table Tennis Bat और Plastic Ball से अकेलेपन और बोरियत को तोड़ने की आदत लत बन गयी थी.... जुम्मा-जुम्मा एक Week हुआ था और मैं अपने Table Tennis Bat और ball के साथ Entertaining Mode में था और अचानक Ball Speed से साधे दीवार घड़ी से टकरा गइ और कांच जमीन पर टुकड़ो टुकड़ो में बदलकर गिर गये। दिल धक सा रह गया.... मैं सोच रहा था कि घड़ी टूटी या मेरा वक्त।

Comments