जब मैंने पहली बार प्रवचन दिया...
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कुछ लम्हे, कुछ बातें आप कभी भूल नहीं पाते, कितने ही एसे पल जिंदगी के करीब होकर गुजर जाते है, जिन्हें Flash करते हुए जुगाली करने का मन करता है। खुशियों के कामयाबियों के पल जब कुछ भी नया हुआ.... कोइ वो बात जो कभी नहीं हुइ.... मगर एक बार हो गइ.... तो उनकी स्मृतियों की खारिशे बरबस हो ही जाती है। मुनि हुए 4 महीने हो गये.... गुरुकुल और बहिरविहार की दुनिया बहुत अलग है, गुरुकुल में जब नज़र उठाओ भीड़ देख के, बहिर्विहार में.... भीड़ कमानी होती है... जो जितना असरदार प्रवचनकार है.... उसके आसपास उतनी ही ज्यादा Audience.... हरियाणा प्रवास में एक एक दिन का ठहराव... गांव तो स्मृतियों के झरोखों से कही ओझल हो गया.... मगर उस रात खेत खलियानों से खरपतवार काटकर किसान अपने घर जाने के बजाय सीधे हमारे प्रवास स्थल आ गये थे... थके हारे थे मगर आस्था जैन मुनि के लिये देखने लायक थी... मिट्टी से बदन सना हुआ, सर से पांव तक बहता पसीना.... फिर भी जरा सी देर सत्संग करने की जिद्द.... एसी की जैसे किसी धरने पर ही आकर बेठ गए हो.... कथा तो सुनानी ही होगी.... अतः मेरे Group Leader... मेरी ओर इशारा करते है... बोलो.... कुछ देर बोलो.... सुनाओ गांव वालों को... मैं अवाक... क्या बोलु.... क्या बोलु... कभी प्रवचन दिया नहीं... कैसे दु... कैसे निभाऊ इतनी बड़ी जिम्मेदारी ?? मैंने साफगोइ की.... महाराज मुझसे नहीं होगा। यू अचानक पहले कहते तो Preparation भी करता... अब क्या बोलु ? कैसे बोलु ? कुछ भी तो नहीं आता। कुछ भी बोलो मगर बोलो... तुम छोटे हो ना.... छोटे संतो के प्रति इन लोगो के मन में Craze है... डरो मत... बस बोलते जाओ... Disappointment Zone में था... अब ज़रा सा हौसला मिला अब ज़रा सा हौसला मिला और मैंने अपने मुनि जीवन का प्रवचन Start किया.... कहा से आ रहे थे विचार और कैसे वो प्रवचन बनकर होंठो को छू रहे थे, नहीं जानता... बस आचार्य महाप्रज्ञ से प्रभावित था.... महाप्रज्ञ के प्रवचनों में से कुछ कथाये कही यादों के कैमरे में कैद होकर रह गइ थी - तो बस Flash Back करने लगा.... और बारह मिनट का सफर तय कर लिया मैंने.... कभी पलके झुक रही थी... तो कभी सफेद मिट्टी से सने धुंधले कपड़ो में लिपटे ग्रामीण जनों को कइ बार कुछ बातों पर हंसते हुए चोरी छिपके आंखों ने देखा - सुकून मिल रहा था... और Inspiration थी कि जब तक आपके भाषण में ज़रा सी Genuine Comedy नहीं हो तो लोग Bore हो जाते है। पहला मगर प्रेरक Speech के लिये मुझे मेरे Group Leader ने अलग अलग तरीकों से Cheer Up किया। और फिर क्या था जहां गये वही प्रवचन देने की लत सी हो गयी.... बस वक्त के साथ प्रवचन के Style बदलते रहे... पहले 5 साल दार्शनिक हिंदी.... अगले दस साल उर्दू का तड़का, और फिर Hindi-English Combo.... अब तो घण्टे.... 2 घण्टे.... 3 घण्टे.... प्रवचन देना.... कोइ कहे तो कोइ Big Deal नहीं है। राष्ट्रसंत तरुण सागर जी के साथ... महोपाध्याय ललितप्रभ सागर जी के साथ, विश्व गुरु परमानंद गिरी जी के साथ, साध्वी ऋतम्भरा जी के साथ.... और भी एसे बहुत नाम है - बस जो Compliment मिले... उसकी Language कुछ यूं थी - वाह-वाह क्या बात है - मन बाग बाग हो गया.... मेरे प्रवचनों से मुझे पहचान मिली है। सोचता हूं उस दिन वाकई अगर ना कह देता तो आज इस Stage पर नहीं होता...
My Love & Gratitude to all of you for loving my Speeches...



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