गुरु का फैसला.....
बेटी की विदाई तो देखी थी, आंखें छलक छलक उठी। मां बाप परिवार जैसे सीने से कलेजा निकाल लिया हो किसी ने। वो पल कितना दर्द देता है यह सिर्फ वही महसूस कर सकता है जो इस सफ़र से होकर गुजरा है। मैं तीन महीने का सन्यासी हो गया। और मेरे आस-पास सुगबुगाहटे शुरू हो गई.... मेरे गुरु के दिमाग में मुझे खुद से दूर भेजने की कोई शिखर Planning चल रही थी.... " मुनि सम्बोध कुमार " यही हां यही नाम दिया था मुझे.... और मैंने पूरी ईमानदारी से कोशिश की मेरे नाम को सरकार देने की.... और मैं मुस्कुरा कर खुद को संबोध बनाता चला गया। संबोध.... Simply Means Inspiration... बन रहा हूँ... बनते चले जाना चाहता हूं। सबके लिए Inspiration...
कहां था और कहां आ गया। मर्यादा महोत्सव.... तेरापंथ का सिंहस्थ.... महाकुंभ.... शिखर वार्ताये.... संगोष्ठीया.... सकारात्मक किरदारों की तारीफ.... और नकारात्मक पहलुओं पर झिड़कियां। और आखिरी दिन अब आगे सब को कहां जाना है... यह फैसला। इस फैसले की फेहरष्टि में मेरा भी नाम शामिल हो जाएगा.... पता नहीं था.... मगर था जो था.... ना मैं इंकार कर सकता था.... ना यह कह सकता था कि मन बस श्री चरणों में ही बस गया.... अब यहां से कोई और दर रास नहीं आता..... मगर Commitement कर चुका था.... महाव्रती होते ही.... अपने गुरु से.... जो आप कहेंगे वही करूंगा, जहां आप कहेंगे वही रहूंगा.... सब कुछ आपके चरणों में बस आपको न्योछावर है। मुझे शायद गुरु से बिछड़कर जाना समझ में नहीं आया.... मगर गुरु जानते थे कि वो मुझे कहा देखना चाहते है। बस भेज दिया... रुआंसा सा हुआ... मगर निर्मोही को वो आंसू भी पिघाल ना सके। और मुझे विदा कर दिया गया... मेरे Group Leader को मेरी सारी जिम्मेदारियां सौंपकर.... मेरे जाने के बाद मुझे पता चला कि अब तक मेरे Guardian रहे मुनि श्री बालचंद जी ने मेरे आराध्य को अपने पास रखने के कइ Logic पेश किए.... बस फर्क इतना सा था कि मैं वहां मौजूद नहीं होता.... तुम मेरे महामहिम अपना फैसला बदल कर फिर मुझे अपने साए में रखने की इजाजत दे देते। मगर देर हो चुकी थी। दस साल बाद मैंने अपने आराध्य से पूछ ही लिया - कि क्या वजह थी कि मुझे अपने खुद से अलग क्यों रखा.... क्यों मैं आपके पास नहीं रह सकता। तो श्री महाप्रज्ञ ने सुमित मुस्कान बिखेरते हुए कहा - तुम्हारी यहां उपयोगिता नहीं है। अब समझ में आ रहा है.... 21 साल बाद की क्यों मेरे भगवान चाहते थे कि मैं उनके पास ना रहूं।



Comments
Post a Comment